Hindi Version : मोसमात बुधिया – एक साहसी किसान
बुधिया मोसमात अररिया में रहती थी. तब अंग्रेजों का राज था. अंग्रेज़ बहादुर का दरबार यहीं केंद्र के पास लगता था. कहते हैं अंग्रेज़ कंपनी मालिक इस इलाके में ज़बरदस्ती नील की खेती कराते थे. नील से ज़मीन बर्बाद होती थी, धान की कमी हो गयी थी और भुखमरी की हालत इलाके में छा गयी थी.
इलाके के किसान बुधिया को बहुत मानते थे और अपनी दुःख की कहानी उसे सुनाते थे. बुधिया से यह सब बर्दाश्त नहीं होता था, उस ने अपने किसान साथियों से कहा आप एक रात के लिए मुझे अंग्रेजों द्वारा दिए गए बीज दें और सवेरे बीज ले जा कर बो दें. किसानों ने ऐसा ही किया.
रात में जब बुधिया के पास बीज आते तो वह आधे बीज भूज कर बाकी बीज के साथ मिला देती. इस तरह पहले साल आधी फसल बर्बाद हो गई, अगली फसल के बीज फिर किसानों ने बुधिया को दिए और उन्होंने फिर आधे बीज भूज कर मिला दिए और इस तरह अंग्रेजों की नील की खेती बर्बाद होने लगी. कम्पनी बहादुर के जासूसों ने यह बात अंग्रेजों तक पहुंचाई की रात भर के लिए किसानों के बीज बुधिया के पास रहते हैं और शायद यहीं कुछ हो रहा है.
मो. बुधिया को पकड़ कर कम्पनी बहादुर के दरबार में पेश किया गया. कहते हैं अंग्रेज़ साहब बहादुर ने बुधिया से पूछा की क्या तुम ने हमारी नील की खेती बर्बाद की है. फिर कहा जाता है कि बुधिया डरी नहीं और उसने अंग्रेज़ साहब बहादुर से पूछा “अगर आप के लोग भूखे मर रहे होते तो क्या आप यह नहीं करते जो मैं कर रही हूँ?” उस के बाद कहा जाता है कि अंग्रेज़ साहब ने बुधिया को छोड़ दिया और नील की खेती इस इलाके में बंद कर दी.
हिम्मत्ती बुधिया को जिंदाबाद!
Mosmat Budhiya – A brave farmer
The old lady lived in a mosmat area. Those days the British ruled and d held court nearby. It is old that the British company owner forced the farmers to grow Indigo. Indigo farming ruined the soil. the crops were failing and hunger was setting in in the area.
The area farmers respected the old lady a lot and used to tell her their sad stories